आप सभी को मेरा (बाली पहलवान) का प्रणाम।
आज के इस हिन्दू नव वर्ष पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना
आशा करता हूं हर बार की तरह आप इसको सराहेंगे और स्नेह देंगे
मैया तुमसे क्या मांगू क्या तुमसे मैं आस करूं
बची रहे बेटी की अस्मत मैं तो ये विश्वास करूं।
दुर्गा सी शक्ति दे दो सिंह के जैसा वाहन दो
करे खात्मा दुश्मन का वो ऐसा ही तुम शासन दो,
कहे ना अबला धरती पे कोई ऐसा कुछ तुम कारण दो
रक्त पिए वो कालिका बनकर जब हाथों में उसके पारण हो,
जगत में सबको पालने वाली तेरा ही आभास करूं
बची रहे बेटी की अस्मत मैं तो ये विश्वास करूं।
देश की नारी का हम सब मिलकर के सम्मान करें
रखे भावना प्रेम की मन में ना रस का पान करें,
बढ़े सदा हम आगे जग में धर्म सनातन ध्यान रहे
रखें सदा ही भाव ज्ञान के प्रेम की गंगा सदा बहे,
सबके भवानी घर में आओ तेरा ही मैं ध्यान धरूं
बची रहे बेटी की अस्मत मैं तो विश्वास करूं।
जग को ये नव वर्ष मिला है हिन्दू का है इससे नाता
हो कल्याण सभी का इसमें सागर ऐसा कह जाता,
करें शुभारंभ हम सब इसको जगजननी के नाम से
बिगड़े काम बनेंगे सबके रहेंगे सब आराम से,
कन्या भवानी हो अपने घर की शोभा मैं अहसास करूं
बची रहे बेटी की अस्मत मैं तो विश्वास करूं।
स्वरचित रचना
सुप्रभात मित्रों,
हिंदू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
Shnaya
03-Apr-2022 02:32 PM
बहुत खूब
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Gunjan Kamal
03-Apr-2022 12:11 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻
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